हे मतदाता ! हे लोकतंत्र के सजग प्रहरियों जागो ! दिखा दो अपनी तर्जनी की निर्णायक शक्ति अंधभक्ति छोड़ खुली आँखों से चुनो उसे जो सुग्राहा हो अनुकूल हो अनाचार भ्रष्टाचार गुंडागर्दी व्यभिचार तथा स्वयं के विकास के सर्वथा प्रतिकूल हो